क्या कुछ युवाओं ने सभ्यता संस्कृति को खोना शुरू कर दिया, हमारी परम पूज्य भारत भूमि जिसका हम सुबह उठते ही चरणस्पर्श “काराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्द, प्रभाते करदर्शनम्।” मंत्र उच्चरित करके करते हैं और दिन की शुरुआत करते हैं, बहु व्यक्ति सम्बन्ध शास्त्रों में सोचना भी वर्जित हैं, कुछ देशों की सभ्यता संस्कृति हम जिनको महत्व दे रहे हैं उसमें मानव मूल्य रिश्तों का महत्व घटता जा रहा है, विकास के नाम पर अपनी पहचान खोना किस हद तक सही है, हर युवा को इस बात पर जोर देना होगा तभी आपराधिक गतिविधियां, जो रिश्तो में कमजोरी और मनमुटाव के कारण होती हैँ को समझना होगा, गलत संस्कार से गलत विचार पैदा होते हैं, और गलत विचारों से व्यक्ति गलत कार्य करता है, आज के युवा के पास संस्कार और चरित्र बनाने के लिए पर्याप्त साधन है, इतना तो पता है कि समाज की स्थापना के लिए दोनों का महत्व बराबर है,
मातृशक्तियों को सम्मान देने से, और पुरुषार्थ सें ही सक्षम परिवार, समाज, विश्व की सफल सभ्यता की कल्पना की जा सकती है, पर जिस तरह से युवा मानव मूल्य और चरित्र निर्माण को महत्व देंगे उसी तरह से आगे का हमारा समाज परिवार विश्व निर्मित होगा।
गलत दोस्त बनाना, फायदे के लिए दोस्ती करना, एक दूसरे से पैसे और पद, प्रतिष्ठा, गरिमा, क्षणिक आनंद के लालच में जुड़ना फिर दूसरी जगह जोड़ना, फिर फायदे के लिए कहीं और जुड़ना जोड़ना बस जुड़ते रहना जोड़ते रहना किसी प्रकार सें सही नहीं, एक दिन वे सब व्यक्ति सबसे अकेले होंगें जो फायदे के लिए जुड़े थे, यह एक मानसिक कमजोरी है, व्यक्ति की जो भौतिक संसाधन के लिए किसी भी प्रकार सें सम्बन्ध बनाते हैं, संसार में जीवित हर व्यक्ति के पास चाहे वह किसी भी जगह से हो उम्र का हो या कितना भी पढ़ा लिखा हो या ना पढ़ा हुआ अनपढ़ हो पर उसके पास इतनी असीम क्षमता है कि उसे संसाधनों की प्राप्ति के लिए संपदा के लिए अत्यधिक कमजोर मानसिक स्थित के चलते गलत रास्ते का चयन करना या गलत तरीके से रिश्तों का निर्माण करना नैतिक मूल्यों के पतन सें निरर्थक कार्य निंदनीय है।
आज जो भगवान श्री राम व माँ सीता के चरित्र को अपनी आचार् संहिता मानते है उनको इस चकाचौंध की दुनिया में अगर उपेक्षित महसूस हो रहा है तो यह हमारी कमी है, यद्यपि वे जीवन में अपने आप को अपनी धरातल को पहचानते हैं और उन्हें अपने जीवन शैली पर कार्य पर विकास पर गर्व होता है, उनकी मित्र मंडली द्वारा उनकी उपेक्षा करना निंदनीय है।
हमारे देश में रामायण धर्म ग्रंथ और भगवत गीता का अध्ययन तो लगभग सभी युवा किसी न किसी बहाने कर चुके हैं, फिर कुछ घटनाएं देश के अलग-अलग कोने से सुनने को आती है इसका मतलब यह है कि उन्होंने गंभीरता से इन शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया, अध्ययन यूट्यूब पर और ऑडियो बुक सॉफ्टवेयर पर भी किया जा सकता है समय अभाव के कारण, रुचि के अभाव के कारण अध्ययन ना कर अपनी एक सुधारण आचार संहिता अगर नहीं बनाएंगे तो जीवन में ऐसी घटनाओं का सामना हो सकता है जो अप्रिय हैं।
जब जागो तभी सवेरा, तुम जागोगे जग जागेगा, हमको मन की शक्ति देना मन विजय करे दूसरों की जय के पहले खुद की जय करें।